गुरुवार, 19 मई 2016

A CONGLESS INDIA, ALMOST

कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है और उसकी स्थापना को लगभग 131 साल हो चुके हैं। इस बीच तमाम तरह के विचलन आए और निहित स्वार्थी तत्त्वों ने उसका अपने-अपने हितों के लिए इस्तेमाल किया हो पर कांग्रेस बनी रही। आज फिर से कांग्रेस ऐसे ही संकट में फंसी हुई है। वे लोग कांग्रेस पर काबिज हैं जिनका कांग्रेस की समन्वयवादी विचारधारा से कोई तालमेल नहीं रहा। हद दर्जे के अतिवादी और प्रो-अमीर लोग। सादगी आज कांग्रेस से गायब होती जा रही है और साथ ही जुझारू और प्रतिबद्घ लोग भी। इसीलिए कांग्रेस नष्टप्राय है। आज टाइम्स ऑफ इंडिया का बैनर है- A CONGLESS INDIA, ALMOST
यह सत्य के करीब है। कांग्रेसी संभलो और इसे परंपरा पर वापस लाओ पर इसके लिए कड़ी मेहनत और पक्का इरादा चाहिए। पहले तो परिवार को बाहर करो। परिवार के सदस्य करप्ट हो चुके हैं और छोटी-छोटी चीजों के लिए वे भ्रष्टाचार कर रहे हैं। अपने परिवार के त्याग के नाम पर वे देश को आज लूट रहे हैं। यही नहीं देश की बहुसंख्यक लोगों को अतिवादी आतंकी बताकर उन्हें आरएसएस की तरफ धकेल रहे हैं। आप हिंदू हैं, आप ईश्वर वादी हैं आस्तिक हैं और सत्य बोलने वाले हैं तो कांग्रेस में आपके लिए जगह नहीं है। इसीलिए कांग्रेस आज देश से बाहर होती जा रही है। 
मैं आपको याद दिला दूं कि 28 दिसंबर 1885 में जब बंबई के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कालेज में कांग्रेस का पहला अधिवेशन हुआ तब वहां शिरकत करने वालों में इलाहाबाद का नेहरू परिवार नहीं बल्कि लखनऊ के मुंशी गंगाप्रसाद वर्मा थे। आगरे के लाला बैजनाथ थे, अध्यापक सुंदर रमण थे और महाराषट्र से महादेव गोविंद रानाडे थे, पुणे से केसरी और मराठा के संपादक बाल गंगाधर तिलक थे, पूना से सदाशिव आप्टे थे, गोपाल गणेश आगरकर थे। मद्रास से एस सुब्रमण्यम अय्यर थे, पी आनंदराव चार्लू थे, दीवान बहादुर आर रघुनाथ राव थे, एम वीर राघवाचार्य थे, तिरुअनंतपुरम से पी केशव पिल्लै थे। इंडियन मिरर, हिंदू और ट्रिब्यून के संपादक थे। कांग्रेस के जलसे में कोई मुसलमान नहीं था क्योंकि सर सैयद अहमद खाँ ने मना कर रखा था।
इस तरह कांग्रेस की स्थापना हुई पर आज उस पर वे लोग काबिज हैं जिनका तब कोई योगदान ही नहीं था।

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