बुधवार, 11 सितंबर 2013

पंख मिलदे होण बजारी

१. उड़के गुरानूं मिलिए जे खंब बिकदे होण बजारी
गुरु से मिलने की हुड़क ऐसी लगी है कि अगर पंख बाजार में मिलते होते तो उड़ के उनसे मिल आते।
२. जे बिच ऐब गुनाह ना होंंदे तब तू बक्शेंदा केणूं
अगर कोई पापी न होता तो तू किसको बख्शता किसको?
३. बाहरो धोती तुम्बड़ी अंदरो विष विकार
पहले अंदर की सफाई करो फिर बाहर की सफाई करना।
४. पंख होते तो मैं उड़ जाती।
५. दिल का हुजरा साफ कर जाना कि आने के लिए
ध्यान गैरों का उठा उसको बिठाने के लिए।
एक दिन लाखों तमन्ना और उसपे ज्यादा हवश
फिर ठिकाना है कहां उसको बिठाने के लिए।।
६. अनाथ कौन है यहां, त्रिलोकनाथ साथ हैं।
दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।।
७. लगी आग लंका में, हलचल मची थी।
विभीषण की कुटिया क्योंकर बची थी।
लिखा था यही नाम उसकी कुटी पर
हरी ओम तत्सत, हरी ओम तत्सत।।

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