बुधवार, 18 सितंबर 2013

Hey Manniyon!

सब धान बाईस पसेरी नहीं होते!
मुझसे ब्राह्मण नाराज हैं क्योंकि ब्राह्मणों के ब्राह्मणवाद का मैं सख्त विरोधी हूं। आस्तिक नाराज हैं क्योंकि मुझे ईश्वर पर भरोसा नहीं है। आरक्षण विरोधी नाराज हैं क्योंकि मुझे लगता है कि आरक्षण सामाजिक व शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों का अधिकार है। मंडल के दिनों में भी मैं अकेला ब्राह्मण पत्रकार था जिसने जनसत्ता में पिछड़ों के आरक्षण के समर्थन में लेख लिखा था। और रामपूजन पटेल ने सार्वजनिक मंच से यह बात उद्धृत की थी। पर आज उत्तर प्रदेश की माननीय विधायक अनुप्रिया पटेल जी भी नाराज हो गईं क्योंकि उन्हें फीडबैक दिया गया कि मैने आरक्षण समर्थकों का विरोध किया है। सपा सुप्रीमो नाराज हंै क्योंकि मैं मुजफ्फर नगर के मामले में सपा सरकार के रवैये का विरोधी रहा हूं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ईमानदारी, उनकी नेकनीयती का मैं कायल हूं और मैं ही क्यों यूपी में जो भी संजीदा व्यक्ति होगा उनकी साफगोई का कायल तो होगा ही। पर हे माननीयों! मेरी भी बात सुन लें। मैं एक अमनपसंद शहरी हूं और जो भी मुझे न्यायसंगत लगता है मैं लिखता व कहता हूं। मुझे अगर लगता है कि किसी भी देश प्रदेश की सरकार का दायित्व है कि वह अपने मुल्क, अपने राज्य की कमजोर व अल्पसंख्यक जनता के साथ किस तरह पेश आती है। बहुसंख्यकों को अल्पसंख्यकों के प्रति एक नरम रुख अपनाना चाहिए। एक बड़े भाई की तरह उनसे पेश आना चाहिए। यह सोचना चाहिए कि पहला हक उनका है जो हमारी तुलना में कमजोर रहे अथवा अपना वाजिब हक नहीं पा पाए। पर लगता है कि मेरी बात समझने की कोशिश कोई नहीं कर रहा। मुझे माननीया अनुप्रिया पटेल की पोस्ट से दुख हुआ। मेरे अपन दल के संस्थापक स्वर्गीय सोनेलाल पटेल से बेहद करीबी रिश्ते थे और अक्सर हमारा मिलना जुलना रहा करता था। पर आज उनके परिवार के समक्ष मेरी तस्वीर बतौर आरक्षण विरोधी पेश की जा रही है।

1 टिप्पणी:

  1. शम्भू जी आप बहुत अच्छा लिख रहे हैं . लग रहा है कि कोई जनसत्तावाला लिख रहा है . प्रभाष जी की परंपरा से . बहुत बहुत अभिनन्दन .----ओम प्रकाश

    जवाब देंहटाएं