बुधवार, 29 जुलाई 2015

Mangal Pandey

अब हम कोई शोध तो करते नहीं सिर्फ भावनाओं के आधार पर अपने शहीदों को पूजते रहते हैं। मंगल पांडेय प्रथम स्वाधीनता संग्राम का एक ऐसा चितेरा था जिसे पूजा तो वर्षों से जा रहा है लेकिन उस पर शोध नहीं किया जा रहा। 1857 के रणबांकुरों पर हिंदी में सबसे उल्लेखनीय काम अमृतलाल नागर ने किया है। वे गांव-गांव घूमे और किंवदंती ही नहीं इतिहास भी खगाला। मंगल पांडेय के बारे में नागर जी अपनी मशहूर पुस्तक 'गदर के फूल' में लिखा है-
"श्री मंगल पांडेय का जन्म फैजाबाद जिले की अकबरपुर तहसील के सुरहुपुर नामक ग्राम में असाढ़ शुक्ल द्वितीया शुक्रवार संवत 1884 विक्रमी तदनुसार 19 जुलाई ईस्वी सन 1827 को हुआ था। इनके पिता का नाम श्री दिवाकर पांडेय था। वे वस्तुत फैजाबाद जिले की सदर तहसील के दुगवाँ रहीमपुर नामक ग्राम के रहने वाले थे और अपने ननिहाल की संपत्ति के उत्तराधिकारी होकर सुरहुपुर गांव जाकर बस गए थे। वहीं पर उनकी पत्नी अभयरानी देवी के गर्भ से मंगलपांडे का जन्म हुआ। इनकी लंबाई सामान्य से ज्यादा थी। 22 वर्ष की अवस्था में अर्थात दस मई सन 1849 में आप ईस्ट इंडिया कंपनी की बंगाल इन्फैंट्री में भरती हुए।"

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