शुक्रवार, 31 जुलाई 2015

मलेरिया गाथा

आज की तारीख में लोग बस संकीर्ण सोच में डूबते-उतराते रहते हैं जबकि असल समस्या औसत भारतीयों के स्वास्थ्य को लेकर है। बड़े-बड़े भिषगाचार्य, जानेमाने एफआरसीएस और अन्य तमाम तमगाचार्य तथा योगाचार्य मधुमेह, रक्तचाप, हृदयाघात और कैंसर तथा यकृत की बीमारियों का इलाज तलाश लेने का दावा करते हैं। पर क्या आप लोगों को पता है कि आज भी भारत में सबसे अधिक मौतें मलेरिया से होती हैं। जी हां यह विश्व की जानीमानी मेडिकल जरनल का आंकड़ा है। मलेरिया भगाने के खूब दावे किए गए पर 1962 से 1967 का साल छोड़ दिया जाए तो मलेरिया के वीषाणु और भी भयानक रूप से प्रकट हो गए हैं। दिक्कत तो यह है कि मलेरिया का वीषाणु पकड़ में नहीं आता। आप लाख बड़ी-बड़ी लैब से परीक्षण कराएं पर यह वीषाणु ऐसा जुगाड़ू है कि अपने सोतीगंज वाले रहमान मियाँ भी उसके जुगाड़ के आगे फेल हैं। लाख दवा की और दुआ की मगर यह मलेरिया पैरासाइट कभी पकड़ में नहीं आता और जब इसका पता चलता है तो यह वीषाणु शरीर के किसी न किसी अंग को अपंग कर देता है। और मौत की वजह बताई जाती है हार्ट फेल्योर या बीपी का शूटआउट कर जाना अथवा सुगर का अचानक बढ़ जाना या पेट फूलना और शरीर का पीला पड़ते-पड़ते पीलिया की चपेट में आ जाना। सरकार को पहले सारे सरकारी अस्पतालों में मलेरिया विंग को सबसे मजबूत करना चाहिए और हरेक के लिए इसकी जांच फ्री करनी चाहिए तथा सख्ती से एक कानून पास करना चाहिए कि बुखार आते ही पहले सरकारी अस्पताल में सीवीएस, विडाल और एमपी चेक कराएं इसके बाद ही कोई एंटी बायोटिक्स का सेवन करें वर्ना यह एमपी यानी मलेरिया पैरासाइट आपके लीवर में छिप कर बैठ जाएगा फिर चाहे जहां ब्लड चेक कराएं इसका पकड़ा जाना मुमकिन नहीं। और लीवर में छिपकर यह आपके शरीर को कुतरने लगता है। इसलिए सरकार इस चोर को पकडऩे हेतु पहले की तरह ही मलेरिया इंस्पेक्टरों को घर-घर जाकर चौकसी करने का कानून पारित करे। इनकी पावर दिल्ली पुलिस के हवलदार से कम नहीं हो।

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आमतौर पर प्राइवेट पैथलैब की मलेरिया टेस्टिंग में कोई रुचि नहीं होती। एक तो कुल तीन पैसे में हो जाने वाले इस टेस्ट में न तो पैथलैब को कमाई होती है न आपके सलाहकार चिकित्सक को कोई कमीशन दिया जा सकता। इसलिए प्राइवेट लैब अक्सर मलेरिया को टायफायड बता देंगी और टायफायड का इलाज मलेरिया का ठीक उलटा है। आप एंटीबायोटिक्स दवाएं खाते रहेंगे और मलेरिया का पैरासाइट आपके पेट में छिपकर लीवर कुतरता रहेगा। जब पता चलेगा तो डॉक्टर एलएफटी टेस्ट को बोलेगा। और लीवर सिरोसिस या लीवर एक्सपेंड का इलाज चलेगा और मलेरिया का पैरासाइट अपना काम करता रहेगा। अगर कुछ हो गया तो कुंदबुुुद्घि वाले सरकारी प्रचारक कह देंगे कि आदमी लीवर सिरोसिस अथवा बीपी शूटआउट होने से मरा। यह सरकारी तंत्र का फेल्योर है। सत्य यह है कि आज देश में न तो कैंसर कोई घातक रोग है न डायबिटिक न हार्ट प्राब्लम। समस्या मलेरिया की है। मलेरिया पैरासाइट पर नियंत्रण कर लिया तो काफी हद तक बीमारियां दूर हो जाएंगी। स्वच्छ भारत अभियान से ज्यादा जरूरी है मलेरिया मुक्त अभियान। पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने मलेरिया पर काबू पाया था। याद करिए वे दिन जब मलेरिया इंस्पेक्टर घर-घर आकर लाल खडिय़ा से आपके घर की पहचान दिखाता था कि घर में कितने लोगों को मलेरिया का टीका लग चुका है। मगर स्वास्थ्य सेवाओं को बिजनेस बना देने से सब ध्वस्त हो गया।

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मलेरिया या कोई भी वायरल अगर आपको हो गया हो तो कृपया किसी भी प्राइवेट पैथालाजी लैब में टेस्ट न कराएं। किसी योग्य चिकित्सक से दवा लेने के पूर्व उससे अनुरोध करें कि आप मेरे ब्लड की स्लाइड बना दें। इसके बाद ही कोई बुखार खत्म करने वाली दवा अथवा एंटीबायोटिक्स ग्रहण करें। इसके बाद जब भी सुविधा हो आप अपनी यह ब्लड स्लाइड किसी सरकारी चिकित्सालय अथवा मलेरिया निरोधक केंद्र में भेजें। सीएमओ के पास मलेरिया विंग होता है और उसे यह ब्लड स्लाइड चेक करनी ही पड़ेंगी। आप चाहें तो एम्स या एनआईसीडी (राष्ट्रीय संचारी रोग संस्थान), शामनाथ मार्ग दिल्ली को सीधे जाकर दिखा आएं। वहां के टेक्नीशियन आधे घंटे में आपको मलेरिया की रिपोर्ट दे देंगे। लेकिन अगर इसके पूर्व आप किसी भिषगाचार्य, तमगाचार्य, योगाचार्य या एमडी अथवा एफआरसीएस के पल्ले पड़ गए तो समझो गई भैंस पानी में। मेरी राय कुछ कड़वी लगेगी मगर है सौ फीसदी पक्की। अगर प्राइवेट डाक्टर ब्लड स्लाइड बनाने से मना करे तो आप खुद अपने बाएं हाथ की अंगुली से खून निकालिए और स्लाइड में चार पांच जगह लगा दीजिए। बाद में जब वह सूख जाए तो जाएं सरकारी पैथ लैब में। ध्यान रखें कि किसी भी सरकारी अस्पताल में इसकी कोई फीस नहीं ली जाती।
एक बात और मलेरिया की दवा किसी प्राइवेट डाक्टर की सलाह पर लेने की बजाय किसी सरकारी चिकित्सक अथवा मलेरिया डॉक्टर या मलेरिया इंस्पेक्टर की सलाह पर ही लें। अब यह स्वस्थ रहने का नुस्खा मानों तो सही न मानों तो भुगतो।

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